“स्वयंसंगिरथी”
इस संग्रह के शब्दों को मैं
अपने देश ............
शब्द संग्रह:- ०१
आलोचनाएँ को खनन करना,
प्रश्नो की कटार से ?.......
स्वर उठता है। राम कथन से,
सतयुग के सिता से ।........
प्राणवस्तु तो परम पुण्य है।
निश्छल, निर्मल, कोमल भी।.....
तीन वर्ष का, हुआ जगत में ।
लोग हुए तब । हितकारी ।......
सत्य कहा करते समाज में,
समय बड़ा बलशाली है ।....
अजब समस्या, शीतल मन में,दृग से दृश्य कुछ दिखता है ।देखना भी न चाहता, तनिक मन मेरा,