सृष्टि के निर्माणकर्ता,
ओ भी अब आघाते हैं।
किसे सौंप दिया? भूमंडल !
जो तनिक नहीं, पछताते हैं।
इस भीषण विध्वंश का,
तुम स्वयं ज़िम्मेवार हो।
है सर्वस्य तुम्हारा भूमंडल,
जिसके तुम हक़दार हो।
कुछ कर दो बदलाव यहाँ।
इस वर्ष के आगमन में,
क्या है? तुम्हारा या मेरा ।
हम “भारत परिवार” हैं।
विनीत
राम रंजन कुमार